Eshan Singh

September 23, 2002 - Bharat
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ईश्वर और ईश्वर पुत्र

आज भी उन्ही सवालों में सोता हूँ
खुद को ही खुद से खोता हूँ।
ना जाने ये उम्र कब ढल जाएगी
ये खुशियां आंसुओ में बदल जाएगी।
आँखें खुलते ही ईश्वर हम आपको पाते हैं
ज़िम्मेदारियों का बोझ उठा कर खुद को आपसे दूर ले जाते हैं।
आज भी आपका पुत्र हर परिस्थिति को सोचता हैं
कही आप मेरी दुःख से दुखी न हो जाओ इसीलिए आपके सामने होते हुए भी मुँह झुका कर आंसू पोछता हैं
उन् आंसुओ में मंद मंद खुशियों को गाता हूँ
मैं आज भी उन्ही सवालों में खुद को सोया हुआ पाता हूँ
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