मैं क्या चाहती हूँ?
मैं क्या चाहती हूँ?
क्या कभी मैंने सोचा ?
क्या कभी खुदसे पूछा?
क्या कभी अपने दिल की आवाज़ सुनी?
क्या यह खुदसे पूछा कि तेरी खुशी क़िस्में है?
नहीं कभी नहीं सोचा
नहीं कभी नहीं पूछा ।
बस यूँ ही ज़िंदगी जी रही थी
दूसरों के इशारों पर
उनकी बातें सुनकर
उनके बारे में सोचकर
बस यूँ ही ज़िंदगी जी रही थी।
अब समय आया है
खुदके दिल की सुनने का
और खुदसे यह पूछने का
मैं क्या चाहती हूँ?
मैं क्या चाहती हूँ ?