बस टूट चुकी हूँ
खुदसे क्या कहूँ
किसी से क्या बात करूँ
मन ही नहीं करता
किसी के पास जाने का
किसी से दो घड़ी बात करने का
खुदसे भी यूँ मुँह मोड़ लिया है मैंने
बस टूट चुकी हूँ
सवाल करना चाहती हूँ
कि मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ
मैंने क्या किया था
फिर मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ
पर अब यूँ खोई खोई सी रहती हूँ
मन नहीं करता मुँह खोलने का
किसी से सवाल करने का
बस इतना टूट चुकी हूँ ।
हार कभी ना मानी थी मैंने
हर परिस्थिति का सामना करती रही
बस अब और नहीं होता
विश्वास सबसे उठ चुका है
बस इतना टूट चुकी हूँ ।