सिगरेट जैसी है जिंदगी कस न खींचो तब भी जलती है
बस सांसो की मोहताज है, उन्हीं की दम पे चलती है
रुकती नहीं किसी के जाने से हाँ कुछ कमियां खलती हैं
इच्छायें ही जड़ है सब दुखों की जो मन में रोज पलती हैं
उनपे भी चलो अब प्रतिबन्ध करते हैं...
चलो भोत हुआ सबकुछ बन्द करते हैं
ख़त्म यादों तक के सम्बन्ध करते हैं।।
क्या पाया क्या खोया का हिसाब बड़ा भारी है
मत पड़ इसमें वंदे करनी आगे की तैयारी है
बीती ताहि बिसार के वर्तमान जीने की बारी है
ट्रैन जैसा है सफर न जाने कहाँ उतरनी सवारी है
तो अकेले चलने खुद को पाबंद करते हैं
चलो भोत हुआ सबकुछ बन्द करते हैं
ख़त्म यादों तक के सम्बन्ध करते हैं।।
कभी कोई ख्वाब टूटा, तो कभी कुछ पीछे छूटा
जिनपे जितना किया भरोसा उसने उतना लूटा
वक़्त की कुचाल पे कभी हंसा कभी गुस्सा फूटा
बस देखते ही रह गए जब जब हमसे वक़्त रूठा
बन्द ये रूठी किस्मत का निबन्ध करते हैं
चलो भोत हुआ सबकुछ बन्द करते हैं
ख़त्म यादों तक के सम्बन्ध करते हैं।।
लेखक:- अखलेश सिंह तोमर