Sumit Maurya

September 3, 1984 - Earth
Send Message

मेरी शायरी

मेरी शायरी के किस्से गूंजते तो होंगे उन गलियों में,
जहां जनाब दिल तोड़ छुपे बैठे हैं।
शर्म तो आती ही होगी, और गालों पे लाली भी
जब कोई पड़ता होगा मेरे दिल के जज़्बात।
सोचते होंगे कि किस मूह से आए मेरे दीदार को,
अब तो उस चांद पर झुर्रियों का कब्ज़ा होगा,
जिस हुस्न पे था गुमान मेरे करीब को,
समझे नहीं वो इन आंखों की मेहरबानियां।
हमने ही तो बनाया था उनको हुस्न ए खुदा
वर्ना कहां रोज़ रोज़ नए खुदा बनते हैं।
325 Total read