कहने को अपने बहुत है यहा
पर फिर भी अकेला सा लगता है
बातें मन मे ही दबानी पड़ती है
क्योंकि कहने पर ये सभी को फ़रियाद सा लगता है |
हा, बहुत बुरा लगता है जब सब हो के भी किसी के ना होने का एहसास होने लगता है ,
लोग तो कहकर छोर जाते है , यहां तो बिना कहें ही छोरा हुआ सा लगता है |