Muskan Sharma

July 7,2001 - Kurukshetra
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तू कब तक यूँ सहेगी

तू कब तक यूँ सहेगी
तू कब तक यूँ सहेगी
तू कब तक यूँ चुप रहेगी
तू कब तक अपने आपको रोकेगी
तू कब तक यूँ सहेगी।

किसी का तुझको यूँ नीचा दिखाना
किसी का तुझपर यूँ हाथ उठाना
किसी का तुझे यूँ चुप करवाना
तू कब तक यूँ सहेगी।

कर सवाल अपने आप से
खुदको एक बार आयने में देख
कौन है तू, क्या अस्तित्व है तेरा
कर सवाल अपने आप से।

आज से यह प्रण ले
तू अपने लिए आवाज उठाएगी
खुदको यूँ ना हराएगी
तू काली बनकर दिखाएगी
तू अब नहीं सहेगी
बस अब नहीं सहेगी ।
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