Intolerance Poems

Popular Intolerance Poems
Shibboleth
by Nkwachukwu Ogbuagu

Machete salutations sweat
The rims of blades.
Sparks sprinkle fire-spittle
On the confused breath of hostile fumes
Branded Death.

Brines grow on festered fringes
Dappled with pestle-prints of
Silence,
Yet Death is borne on yawning.

......

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तू कब तक यूँ सहेगी
by Muskan Sharma

तू कब तक यूँ सहेगी
तू कब तक यूँ सहेगी
तू कब तक यूँ चुप रहेगी
तू कब तक अपने आपको रोकेगी
तू कब तक यूँ सहेगी।

किसी का तुझको यूँ नीचा दिखाना
किसी का तुझपर यूँ हाथ उठाना
किसी का तुझे यूँ चुप करवाना
तू कब तक यूँ सहेगी।

......

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Recent Intolerance Poems
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Machete salutations sweat
The rims of blades.
Sparks sprinkle fire-spittle
On the confused breath of hostile fumes
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Dappled with pestle-prints of
Silence,
Yet Death is borne on yawning.

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तू कब तक यूँ सहेगी
by Muskan Sharma

तू कब तक यूँ सहेगी
तू कब तक यूँ सहेगी
तू कब तक यूँ चुप रहेगी
तू कब तक अपने आपको रोकेगी
तू कब तक यूँ सहेगी।

किसी का तुझको यूँ नीचा दिखाना
किसी का तुझपर यूँ हाथ उठाना
किसी का तुझे यूँ चुप करवाना
तू कब तक यूँ सहेगी।

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