तुम्हारी आँखों मे जो नशा है,
वो इस शराब में नहीं,
तुम्हारे चेहरे पर जो नूर है,
वो आफताब में नहीं,
तुम्हारी नज़रों मे तो तुम्हारा,
साथ दिखता था,
वो जो साथ था,
वो इस शबाब में नहीं...
तुम्हारी नज़रों से तो,
सारी दुनिया रुक जाती थी।..
मेरी खुशियाँ,
मेरे और करीब आजाती थी।...
वो जो थी खुशियाँ,
वो इस शराब में नहीं...
इस शराब में तो बस एक,
अधूरी सी खुमारी हैं.।...
वो मीठी सी यादें,
जो तुम्हारी है।
वो मीठी चाशनी,
इस शराब में नहीं।
वो झरने सी बहती,
कल कल करती नदियां।
जो मिलती थी तुम्हारी,
नजरो के दरमियाँ...
वो तुम्हारी खुमारी, मेरे पास नहीं,
मेरे पास सिर्फ मै है, तुम नहीं....