ना जाने खुद से ही खोई खोई रहती हु,
खुद की बातें खुद को ही क्यों समझती हु |
हाल हैं कुछ ऐसा इस दिल का अब,
सुनाई देती दिल की धड़कने परिंदे को अब |
अंजानी सी हैं ये एहसास मेरी,
लगती हु मै वो नहीं
जो हुआ करती थी पहले कभी |
ना जाने खुद से ही खोई खोई रहती हु,
खुद की बातें खुद को ही क्यों समझती हु |
देखा ज़ब से तुझे सनम,
बनने लगी मै तो तेरी बलम|
तेरे बिना अब न ये बीते दिन, रैन
सजाना तेरे बिना ना आये एक पल चैन |
By- Aakanksha Raj.