Vidyapati Thakur

the poet cuckoo of Maithili] (1352 - 1448 / Bishphi / Bihar, India

गौरी के वर देखि बड़ दुःख भेल - Poem by Vidyapati Thakur

गौरी के वर देखि बड़ दुःख भेल, सखी बड़ दुःख भेल...

मन के मनोरथ मने रहि गेल, लैलो भिखारी पर सेहो बकलेल !
भोला के कतहुं जगत नाहीं साँक लेल, बरके जे देखि गायनि धुरि गेल!!

हमर गौरी नहिं छथि बकलेल, तिनका एहन बर कोना आनि गेल !
भनहिं विद्यापति बड़ दिन भेल, गौरी मंगन शिव आनन्द भेल !!
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