सरसिज बिनु सर सर बिनु सरसिज, की सरसिज बिनु सूरे !
जौबन बिनु तन, तन बिनु जौबन की जौक पिअ दूरे !१!
सखि हे मोर बड दैब विरोधी !
मदन बोदन बड पिया मोर बोलछड, अबहु देहे परबोधी !२!
चौदिस भमर भम कुसुम-कुसुम रम, नीरसि भाजरि पीबे !
मंद पवन बह, पिक कुहु-कुहु कह, सुनि विरहिनि कइसे जीवे !३!
सिनेह अछत जत, हमे भेल न टुटत, बड बोल जत सबथीर !
अइसन के बोल दुहु निज सिम तेजि कहु, उछल पयोनिधि नीरा !४!
भनइ विद्यापति अरे रे कमलमुखि, गुनगाहक पिय तोरा !
राजा सिवसिंह रुपानरायन, रहजे एको नहि भोरा !५!