Vidyapati Thakur

the poet cuckoo of Maithili] (1352 - 1448 / Bishphi / Bihar, India

मानिनि आब उचित नहि मान - Poem by Vidyapati Thakur

मानिनि आब उचित नहि मान !
एखनुक रंग एहन सन लागय जागल पए पंचबान !१!

जूडि रयनि चकमक करन चांदनि एहन समय नहि आन !
एहि अवसर पिय मिलन जेहन सुख जकाहि होय से जान !२!

रभसि रभसि अलि बिलसि बिलसि कलि करय मधु पान !
अपन-अपन पहु सबहु जेमाओल भूखल तुऊ जजमान !३!

त्रिबलि तरंग सितासित संगम उरज सम्भु निरमान !
आरति पति मंगइछ परति ग्रह करु धनि सरबस दान !४!

दीप-बाति सम भिर न रहम मन दिढ करु अपन गेयान !
संचित मदन बेदन अति दारुन विद्यापति कवि भान !५!
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