Ujjwal Kumar

27 February 2005 - New Delhi
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बारिश

एक खत लिखा था बादलों को
भीगी भीगी जवाब आया अभी !

कल तक उड़ती थी जो मुँह तक ,
आज पैरों से लिपट गई
चंद बूंदे क्या बरसी बरसात की ,
धूल की फितरत ही बदल गई।
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