तेरी सांसों से ही तो मेरा वजूद है
वर्ना मै बांसुरी किस काम की
सिर्फ एक लकड़ी ही तो हूं
पड़े पड़े सड़ जाऊंगी।
होठों से जो छू कर
मुझे जिंदा तू करता है
इतना एहसान भी करदे
के ज़हन ए दुनिया में बसा दे मुझको।
एक नाम दे दे मुझे
जो लोगों को समझ आ जाए
के धड़कने मेरी है मगर
सांसें तेरी हैं मुझमें।