Raghupati Sahay

Firaq Gorakhpuri] (28 August 1896 – 3 March 1982 / Gorakhpur, Uttar Pradesh / India

कभी पाबंदियों से छुट के भी दम घुटने लगता है - Poem by Raghupati Sahay

कभी पाबन्दियों से छुट के भी दम घुटने लगता है
दरो-दीवार हो जिनमें वही ज़िन्दाँ नहीं होता

हमारा ये तजुर्बा है कि ख़ुश होना मोहब्बत में
कभी मुश्किल नहीं होता, कभी आसाँ नहीं होता

बज़ा है ज़ब्त भी लेकिन मोहब्बत में कभी रो ले
दबाने के लिये हर दर्द ऐ नादाँ ! नहीं होता

यकीं लायें तो क्या लायें, जो शक लायें तो क्या लायें
कि बातों से तेरी सच झूठ का इम्काँ नहीं होता
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