मत बांधो इस समाज की जंजीरो में मुझे ,
मुझे पंख फ़ैला के उड़ने दो !
मत आज़माओ अपनी सोच मुझपे ,
मुझे मेरी सोच से आगे बढ़ने दो !
सपने बोहत बड़े हैं मेरे
मत लगाओ बंदिशें अपने सपनो की मुझपे ,
मुझे मेरे सपनो को पूरा करने दो !
ज़िन्दगी ये मेरी किसी की गुलाम नहीं
दूर रखो मुझे इन झूठी रस्मों और कसमों से
जीना चाहता हूँ मैं खुलकर ,
......
मत बांधो इस समाज की जंजीरो में मुझे ,
मुझे पंख फ़ैला के उड़ने दो !
मत आज़माओ अपनी सोच मुझपे ,
मुझे मेरी सोच से आगे बढ़ने दो !
सपने बोहत बड़े हैं मेरे
मत लगाओ बंदिशें अपने सपनो की मुझपे ,
मुझे मेरे सपनो को पूरा करने दो !
ज़िन्दगी ये मेरी किसी की गुलाम नहीं
दूर रखो मुझे इन झूठी रस्मों और कसमों से
जीना चाहता हूँ मैं खुलकर ,
......