वो रेंगते थे फिर चलना आ गया उनको
अब भागते है बन सहारा
वो मेरे आंसू
चश्मदीद है बावक्त मेरी तनहाइयों के
के अब तो बात करते हैं मूझी से
वो मेरे आंसू
भटकते थे वो तकियों के जंगलों में नदी बन कर
के अब वो झील से गुमसुम मेरे ही साथ रहते हैं
......
वो रेंगते थे फिर चलना आ गया उनको
अब भागते है बन सहारा
वो मेरे आंसू
चश्मदीद है बावक्त मेरी तनहाइयों के
के अब तो बात करते हैं मूझी से
वो मेरे आंसू
भटकते थे वो तकियों के जंगलों में नदी बन कर
के अब वो झील से गुमसुम मेरे ही साथ रहते हैं
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