तुमसे मिला यूँ की सारे जहां को भूल गया
धुरी बनाके तुमको उसपे धरती सा घूम गया
मेरी हर सांस हरपल रग-रग में तुम समाई हो
एकपल की दूरी भी लगे जैसे वर्षों की तनहाई हो
पाना तुझे ही मेरे जीवन की मानो एकमात्र कमाई हो
अब जो मिल ही गए हो तो वादा करो हमदम
बड़ ही गए जिन राहों में कभी पीछे न हटेंगे कदम
जहाँ की इस रंगीन हस्ती में नजारे बहुत हैं
ढूढ़ने जाओगे तो हमसे भी प्यारे बहुत हैं
मगर पूर्णिमा की रात में जैसे दो चाँद नहीं होते
......
तुमसे मिला यूँ की सारे जहां को भूल गया
धुरी बनाके तुमको उसपे धरती सा घूम गया
मेरी हर सांस हरपल रग-रग में तुम समाई हो
एकपल की दूरी भी लगे जैसे वर्षों की तनहाई हो
पाना तुझे ही मेरे जीवन की मानो एकमात्र कमाई हो
अब जो मिल ही गए हो तो वादा करो हमदम
बड़ ही गए जिन राहों में कभी पीछे न हटेंगे कदम
जहाँ की इस रंगीन हस्ती में नजारे बहुत हैं
ढूढ़ने जाओगे तो हमसे भी प्यारे बहुत हैं
मगर पूर्णिमा की रात में जैसे दो चाँद नहीं होते
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