Mohan Rana

1964 / Dehli / India

आता हुआ अतीत - Poem by Mohan Ran

आता हुआ अतीत,
भविष्य जिसे जीते हुए भी
अभी जानना बाकी है

दरवाजे के परे जिंदगी है,
और अटकल लगी है मन में कि
बाहर या भीतर
इस तरफ या उधर
यह बंद है या खुला !
किसे है प्रतीक्षा वहाँ मेरी
किसकी है प्रतीक्षा मुझे
अभी जानना बाकी है

एक कदम आगे
एक कदम छूटता है पीछे
सच ना चाबी है ना ही ताला
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