मा शारदे !
बिराजिछु सबुरि हृदे ॥ (पद)
तो बिना आन नाहिँ
जगत मध्ये केहि
अज्ञान-नाशिनी बरदे ॥ (१)
मात बिष्णु-बल्लभी
पुराण कलु भाबि
तो तहुँ कबि भबे उदे ॥ (२)
ॐकारु तो जनम
मोहिलु नारायण
बीणा सपत स्वर नादे ॥ (३)
बयाळिश रागर
अछि य़ा अधिकार
तान मान गान आह्लादे ॥ (४)
कहइ मनोहर
कपाळे य़ोड़ि कर
मो चित्त थाउ तोर पादे ॥ (५)
(‘मनोहर-पद्यावली’ पुस्तकरु गृहीत)