Kazim Jarwali

Shair-e-Fikr] (15 June 1955 / Jarwal / India

खुशबुए गुल - Poem by Kazim J

जब शाम हुई अपने दीये हमने जलाये ,
सूरज का उजाला कभी शब् तक नही पहुंचा ।
जिस फूल मे खुशबु थी उधर सर को झुकाया ,
हर फूल के मै नाम-ओ-नसब तक नही पहुंचा ।।
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