Kaka Hathrasi

18 September 1906 - 18 September 1995 / Hathras, Uttar Pradesh / India

डर था उसका - Poem by Kaka

लुट जाने का डर था उसका
आबादी में घर था उसका
उस बस्ती में जीना कैसा
मरना भी दूभर था उसका
दिल की बातें खाक समझता
दिल भी तो पत्थर था उसका
उड़ने में ही था जो बाधक
अपना घायल पर था उसका
रहता था वो डरा-डरा सा
कहने को तो घर था उसका
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