Poets
Poems
Sign Up
Login
POET'S PAGE
POEMS
Jagdish Gupt
1924–2001 / India
घाटी की चिन्ता - Poem by Jagdish Gupt
LIKE THIS POEM
सरिता जल में
पैर डाल कर
आँखें मूंदे, शीश झुकाए
सोच रही है कब से
बादल ओढ़े घाटी।
कितने तीखे अनुतापों को
आघातों को
सहते-सहते
जाने कैसे असह दर्द के बाद-
बन गई होगी पत्थर
इस रसमय धरती की माटी।
95 Total read
Show Stats
Share on Facebook
Share on Twitter
See more of Poemist by logging in
×
Login required!
Sign Up
or
Login