Harsha Miglani

India, 28th June,2000
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ZINDAGI KI SEEKH

ज़िंदगी के हर पलटते पन्ने ने बहुत कुछ सिखलाया है....

सुख के साथी तो अनेक होते हैं,
पर दुख के समय खुद के काम स्वयं तू ही तो आया है....

लोग क्या सोचेंगे, इसमें बेकार ही कई वक़्त गंवाया है,
पर अंत में निष्कर्ष निकलता है कि यह सब तो मोह माया है...

बीते कल से निराशा के बजाय समस्या का समाधान निकालने में सुख है,
क्योंकि कोई भी दुख हमेशा कहां टिक पाया है...

किसी को कुछ साबित करने की ज़रूरत नहीं पड़ती,
वक़्त ने सही को जिताकर, गलत को धूल चटवाया है....

आत्म-विश्वास बढ़ाने के लिए, ज़िंदगी ने सही वक़्त पर जीत हासिल कराई,
पर अहंकारी को गिराकर आईना भी तो दिखलाया है....

अपने मुकाम पर पहुंचने पर शाबासी तो कई देते हैं,
पर उसे हासिल करने तक के संघर्ष में
सच्चे शुभचिंतक ने ही तो साथ निभाया है.....

आत्म- सुधार और आत्म- निर्भरता सीखकर ही तो
इंसान आगे बढ़ पाया है,
क्योंकि खुद से बेहतर तुम्हें कौन समझ पाया है....

ज़िंदगी के हर पलटते पन्ने ने बहुत कुछ सिखलाया है।।
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