Gopal Singh Nepali

1911–1963 / India

प्रार्थना बनी रही - Poem by Gopal Singh Nepali

रोटियाँ ग़रीब की प्रार्थना बनी रही
एक ही तो प्रश्न है रोटियों की पीर का
पर उसे भी आसरा आँसुओं के नीर का
राज है ग़रीब का ताज दानवीर का
तख़्त भी पलट गया कामना गई नहीं
रोटियाँ ग़रीब की प्रार्थना बनी रही

चूम कर जिन्हें सदा क्राँतियाँ गुज़र गईं
गोद में लिये जिन्हें आँधियाँ बिखर गईं
पूछता ग़रीब वह रोटियाँ किधर गई
देश भी तो बँट गया वेदना बँटी नहीं
रोटियाँ ग़रीब की प्रार्थना बनी रही
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