Bharatendu Harishchandra

9 September 1850 - 6 January 1885 / Vellore / India

भीतर भीतर सब रस चूसै - Poem by Bharatendu Harishchan

भीतर भीतर सब रस चूसै ।
हँसि हँसि कै तन मन धन मूसै ।
जाहिर बातन मैं अति तेज ।
क्यों सखि सज्जन नहिं अँगरेज ।
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