9 September 1850 - 6 January 1885 / Vellore / India
प्रभु निज अनगन सुभग असीसा - Poem by Bharatendu Harishchandra
प्रभु निज अनगन सुभग असीसा ।
बरसहु सदा बिजयिनी-सीसा ।
देहु निरुजता जस अधिकारा ।
कृषक, राजसुत कै अधिकारी ।
करहिं राज को संभ्रम भारी ।
निकट दूर के सब नर नारी ।
करहिं नाम आदर विस्तारा ।