कुछ तो लीग कहेंगे , लोगों का काम है कहेना,
कयू सुनु में इन लोगों की जब कूदके सात हमेशा ख़ुश होकर है रहेगा ।
क्यूँ कभी में डर जाती हूँ , थूरी सी सहम जाती हूँ, ये दुनिया ओर उसकी बातों से ; जवाब है सायद की दुनिया को सुनते, समझते में ख़ुद से ही दूर हो जाती हूँ; ख़ुद के बिना कभी में थोरी सी कमज़ोर बन जाती हूँ।
बचपन में बिना बात के जब में हस्ती रहतिथि, तो मुझे देखके सब लोग ही हसने लगते थे; अब जब हस्ती हूँ तो लोग कहते है: पागल है,बिना बात के हमेशा ही हस्ती रहती है ।
सुना है हमेशा किसी का मुरझाया हुआ चेहरा किसी ओर के खिले चेहरा से भी खिल जाता है; मै भी कोशिस कर रही हूँ खिलाने की ; हमेशा तो नहीं पर कभी कभी तो बात बन ही जाती है।
लोग किसी के हार पर भी कुछ कहते है ओर उसके जीत पर भी कुछ कहते है, ये बात अलग है कि दुनिया में लोगों का कहना अलग होता है ; क्या कर सकते है हम ओर लोग भी जब लोगों का काम ही कहना होता है।